Thursday, October 22, 2020

23.10.2020

23.10.2020, ॴशिद (आश्विन/ॳसूज) ज़ूनॖ पछॖ (शुक्ल पक्ष) सतम (देवादेव) (सप्तमी) (देवादेव) शॊकुरवार (शुक्रवार/ जुम्मा) श्री सप्तर्षि सम्वत 5096, राश मकर (सुबहॖचि 7.1 बजि प्यठॖ) ऋतु हरुद (शरद) (चलान) नवरात्र (चलान)... दुर्गा छि अज़ कालरात्रि हॖन्दिस रूपस मंज़ 
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नमस्कार माहरा त्वहि सारिनी म्योन। त्वहि ऒरज़ुव दॊरकॊठ आय बत्तॖ। वुद्यूग करव मुकाम प्रावव
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      महामऻरी नाश - मंत्र
जयन्ती मन्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वहा स्वधा नमोस्तुते
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              लल वाक्
         (पराग पुस्तक-98)
क्रिया कर्म धर्म कॊरुम
तीर्थन नऻवॖम पनॖन्य काय
पापन सॊम्बरिथ भस्म कॊरुम
तति कुस ओस तॖ यॊत कम आय
            ****अर्थात*****
मैं ने क्रिया कर्म धर्म किया तथा तीर्थों में अपनी काया को शुद्ध किया। ऐसा सोच कर अपने पापों को भस्म किया। अर्थात इन सारी क्रिया कलापों के करते समय भी तीर्थ स्थानों पर भी यही मेरा शरीर था और यहां भी वही शरीर है। अर्थात शरीर शुद्धि या प्राण शुद्धि तो जहां कहीं भी हो स्वयं ही करनी पडती है।
भावार्थ :- जब मन शुद्ध तथा अपने वश में हो तो उपरोक्त मान्यताओं की अनिवार्यता नहीं रहती। अंतिम पंक्ति का अर्थ यह भी है कि प्रभु ही वहां था और यहां भी है और सब उसी का रूप है इस कारण ऐसा जानकर क्रिया, कर्म, तीर्थस्नान आदि तो केवल आडंबर ही लगते हैं।
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पांछ़ कऻशिर्य लफ़ॖज़ तॖ तिमन हुन्द अंग्रीज़स मंज़ तर्जमॖ तॖ त्रे मुहावरॖ याने कऻशिर्य दपित
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1. टब (Tub)
2. टबॖ (A small size man, animal)
3. टुबॖराय (Beating of the drum)
4. टपलॖ (Wangle/Defraud/Accomplish)
5. टिपुन (To clean small fish)
                मुहावरॖ
1. मु: छानस यॆलि प्यॆयि पानस 
         प्यठ यीकॖल तुलि शानन
         प्यठ/यीकॖलॖ कनि लागि
         सोच़लि नल
   अ: मजबूरी मंज़ ह्यॆकि इन्सान
        कॆंह ति कऺरिथ
2. मु: छानॖ टॊख छु नॖ बस्ति
         रोज़ान
    अ: कांह कऻम छॆ नॖ खऺटिथ 
         रोज़ान
3. मु: छानॖ ठुक
    अ: अडॖल्यॊक कार, या, य्वस
          कऻम नॖ पूर छि गछ़ान
        (पनॖन्य शुर्य ह्यॆछॖनऻव्यूख)
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पंचान्ग:- आयि ॳस्य नवरात्रॖकिस सऺत्यमिस दॊहस मंज़। ॳज़्यकि द्वह छि दपान मऻज्य दुर्गा छि आमॖच़ कालरात्रि हॖन्दिस रूपस मंज़। कऻशिर बट्टॖ छि यॆमि लटि ब्यॆयि दुच़्यॆतिस मंज़ ज़ि ॴ़ठम कर छि तॖ नवम कर छि। कन्यकॖ कर छि पूज़नि, फाकॖ कमि द्वह छु थवुन, बॆतरी। म्यॆ कॊर पुनीत जियस फ़ोन राथ तॖ ऊतरॖ ति। तऺम्य सूज़ पनुन तर्क राथ तॖ सु तर्क यिथ पऻठ्य म्यॆ वोत तिथय पऻठ्य छुस बॖ त्वहि सोज़ान तॖ व्वमेद छि म्यॆ ज़ि सऻरॖय शंका गछ़ि दूर।
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कऻशुर ह्यॆछव कऻशुर परव
कऻशिर्य पऻठ्य पानॖवॖन्य कथ बाथ करव
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नऺविव तॖ फॊलिव
 भूषण कौल "दीप"
(बूज़िव ॳज़्युक सबक़ म्यानि ज़्यॆवि ति)
(koshursabak.blogspot.com ति वुछिव)

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