21.10.2020, ॴशिद (आश्विन/ॳसूज) ज़ूनॖ पछॖ (शुक्ल पक्ष) पऻन्च़म (देवादेव) (पऺचमी) (देवादेव) ब्वदवार (बुद्धवार) श्री सप्तर्षि सम्वत 5096, राश धनु (चलान) ऋतु हरुद (शरद) (चलान) नवरात्र (चलान) अज़ छि दुर्गा स्कंदमाता हॖन्दिस रूपस मंज़...अज़ छि कुमार शॆयम ति
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नमस्कार माहरा त्वहि सारिनी म्योन। त्वहि ऒरज़ुव दॊरकॊठ आय बत्तॖ। वुद्यूग करव मुकाम प्रावव
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महामऻरी नाश - मंत्र
जयन्ती मन्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वहा स्वधा नमोस्तुते
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लल वाक्
(पराग पुस्तक-96)
गगनस भूतलस शिव यॆलि ड्यूंठुम
रवस लऺब नॖ रोज़नस जाय
सिरियिके प्रभाव विशमय ज़ोनुम
ज़ल गव थलस सॗत्य मीलिथ क्याह
अर्थात
आकाश पृथ्वी को जब शिवमय देखा तब सूर्य गौण हो गया। सूर्य के प्रभाव से ही विश्व को जान गई और जल थल के साथ मिलकर एक हो गया। सार यह कि मन से द्वैत का भाव ही मिट गया।
भावार्थ :- लल ने अपनी नाभी में ओम् का ध्यान किया। पिंगला नाडी के निचले सिरे पर सूर्य का स्थान है तो उस के प्रभाव से सहस्रार में पहुंच कर उसे शिव का साक्षात्कार हो गया अर्थात नीचे मूलाधार से सहस्रार तक सारा विशमय हो गया इस कारण अब सूर्य नाडी पर ध्यान की आवश्यकता नहीं रही।
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पांछ़ कऻशिर्य लफ़ॖज़ तॖ तिमन हुन्द अंग्रीज़स मंज़ तर्जमॖ तॖ त्रे मुहावरॖ याने कऻशिर्य दपित
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1. टांग (Loud sound of cow/donkey)
2. टाव (Sound of crow)
3. टांड (Branches of a tree)
4. टाल (Heap of wood)
5. टाल मटोल (Delay/Put off/Dodge/Evade)
मुहावरॖ
1. मु: चंदस ह्यु नॖ बांदव कांह
अ: पौंसॖ छु सारिवि ख्वतॖ बॊड
दोस्त
2. मु: चोन म्वंगॖ त्रख सोन स्युन
अख
अ: यॆलि खर्च ज़्यादॖ आसि,या,
बऺड नज़र आसॖन्य
3. मु: चोन नॖ सॖथॖर तॖ म्यऻन्य नॖ
कतॖवॖन्य
अ: न मूल तॖ न सूद
(पनॖन्य शुर्य ह्यॆछॖनऻव्यूख)
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पंचान्ग:- अज़ च़ायि ॳस्य नवरात्रकिस पॗन्च़ॖमिस दॊहस मंज़। दपान अज़ छु दोरॖमुत दुर्गा मातायि स्कंदमाता हुन्द रूप लूकॖ कल्याणॖ बापथ। यॆमि लटि छि ब्यॆयि ग़ल्ती आमॖच़ करनॖ जंत्रीयन मंज़। ओंकारनाथ जी नि जंत्री मंज़ छु हऻविथ यिनॖवाजिनि ॴठम द्वह दुर्गा अष्टमी तॖ नवम द्वह महानवम तॖ अमी द्वह विजय दशमी ति। हालांकि पुनीत शास्त्री जी सॖन्ज़ि जंत्री मंज़ छु हऻविथ ॴठम द्वह दुर्गा अष्टमी तॖ अमी द्वह महानवमी ति याने ॴंठम दुहुय नव दुर्गा विसर्जन तॖ नवम द्वह छन हऻवमॖच़ विजय दशमी व्वत्सव। दुच़्यॊतिस मंज़ छु कऻश्युर बट्टॖ यॆमि लटि ति। बासान छु ज़ि पुनीत जियिन जंत्री छि सऺही। सऺही क्याह छु व्वं यि ननि पगाह या कऻल्यक्यथ ताम।
हालस कऺर्यतव तॊह्य ब्यॆयि पताह ओरॖ योर ज़ि सऺही क्याह छु। दपान लाकडावुन म्वकॖल्यव मगर वायरस छु वुनि अती। या वनॖव यि कथ यिथ पऻठ्य ज़ि गुरि वाल्या गुर हा मूदुय, लॊट हा रूदुय अथस क्यथ। परहेज़ कऺरिव, स्वस्थ रूज़िव। कथ छि जऻरी
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कऻशुर ह्यॆछव कऻशुर परव
कऻशिर्य पऻठ्य पानॖवॖन्य कथ बाथ करव
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नऺविव तॖ फॊलिव
भूषण कौल "दीप"
(बूज़िव ॳज़्युक सबक़ म्यानि ज़्यॆवि ति)
(koshursabak.blogspot.com ति वुछिव)
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