30.09.2020, ॴशिद(मलमास)(आश्विन/ॳसूज)(मलमासे) ज़ूनॖ पछॖ (शुक्ल पक्ष) च़्वदह (चतुर्दशी) ब्वदवार (बुद्धवार) श्री सप्तर्षि सम्वत 5096, राश मीन (रऻच़ हॖन्ज़ि 8.36 बजि प्यठॖ), ऋतु हरुद (शरद) (चलान), द्रठॖपऻन्च़ुक (पंचक) (चलान)
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नमस्कार माहरा त्वहि सारिनी म्योन। त्वहि ऒरज़ुव दॊरकॊठ आय बत्तॖ। वुद्यूग करव मुकाम प्रावव
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महामऻरी नाश - मंत्र
जयन्ती मन्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वहा स्वधा नमोस्तुते
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लल वाक्
(पराग पुस्तक-75)
य्वसय शैल पीठस तॖ पटस
स्वय शैल छय प्रथिवून दीश
स्वय शैल शूबवुनिस ग्रटस
शिव छुय क्रूठ तय च़ेन व्वपदीश
अर्थात
जिस प्रकार पत्थर सड़क, सुन्दर चक्की आदि के रूप में हर दिशा में दिखाई देता है उसी प्रकार शिव हर पदार्थ में व्याप्त है। यही उपदेश ले कर यथार्थ को जान ले क्योंकि इस बात को समझे बिना शिव को पाना कठिन है। ऐसे समझे बिना ज़रा सी देर में मन में भ्रम उत्पण हो जाता है
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पांछ़ कऻशिर्य लफ़ॖज़ तॖ तिमन हुन्द अंग्रीज़स मंज़ तर्जमॖ तॖ त्रे मुहावरॖ याने कऻशिर्य दपित
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1. पादाश (Punishment/
Retaliation/Penalty/
Requital)
2. पार (sole of the shoe/End/Limit/Extremity/Opposite side of the river)
3. पारुन (A small piece of land for sowing seeds/To set right the hair of a lady)
4. पार्थीश्वर (An idol of God)
5. पार्सल (Parcel)
मुहावरॖ
1. मु: पानसॖय ख्यॆतन असि मतॖ
दीतन
अ: रॖच़र कांछुन, या, शुर अगर
बजाह आसि, च़म छि
शिहिज
2. मु: फागुन ज़ोरावुन
अ: पज़नॖ प्यॆठ खर्चावुन या
बेदर्दी सान खर्चावुन
3. मु: फातॖ छ्यऻन्य गरा च्यऻन्य
गरा म्यऻन्य
अ: बे-व्वफा या बे-पछ़ ज़नान
(शुर पनॖन्य ह्यॆछनऻव्यूख)
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पंचान्ग :- कऺशीरि मंज़ व्यतस्ता दऺ्र्यावॖकिस द्वश्यवॖन्य बठ्यन प्यठ बन्यॆमॖत्य कॆंच़न मशहूर मंदरन हॖन्द्य नाव छि - वॆज्यब्रोर मंदर, शुराहयार मंदर, हनुमान मंदर, गद्दाधर मंदर, शिवा मंदर (बसंत बाग), गणपतयार मंदर, काठलीश्वर मंदर, गोपी नाथ आश्रम, दुर्गा मंदर, अभयंकरदीवी मंदर, सूमयार मंदर, रघुनाथ मंदर, दीवान मंदर, महाकाली अस्थापन, राम कौल मंदर, बटॖयार मंदर, धर मंदर (सफाकऺदल), रॊप भवऻनी अस्थापन (सफाकऺदल), भैरवघाट मंदर, शऻद्यपुर, काली मंदर (सोपोर), ऋश्यपीर अस्थापन (सोपोर), ब्रह्यणघाट मंदर (सोपोर), नन्दकीश्वर अस्थापन(सोपोर), दीवीबल (वरमुल), कोटी तीर्थ (वरमुल), अमि अलाव ति छि ब्यॆयि कॆंह मंदर व्यतस्ता हॖन्दिक्यन द्वश्यवॖन्य बठ्यन प्यठ, यिमन हुन्द ज़िकिर पगाह करव। कथ छि जऻरी
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कऻशुर ह्यॆछव कऻशुर परव
कऻशिर्य पऻठ्य पानॖवॖन्य कथ बाथ करव
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नऺविव तॖ फॊलिव
भूषण कौल "दीप"
(बूज़िव ॳज़्युक सबक़ म्यानि ज़्यॆवि ति)
(koshursabak.blogspot.com ति वुछिव)
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