Wednesday, September 2, 2020

01.09.2020

01.09.2020 बऻद्रप्यथ (भाद्र) ज़ूनॖ पछॖ (शुक्ल पक्ष) च़्वदह (देवादेव) (चतुर्दशी) बॊम्वार (मंगलवार), श्री सप्तर्षि सम्वत 5096, राश कुम्भ (चलान) द्रठॖपऻन्च़ुक (पंचक) (चलान) ऋतु  वऺहरात (वर्षा/बरसात) (चलान)..अज़ छि अनन्त च़्वदह, वार्षिक पुनिम हुन्द श्राद्ध यी अज़, कांबॖर्य पछ छु पगहॗकि प्यठॖ याने ब्वदवारि (02.09.2020) प्यठॖ शुरु
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नमस्कार माहरा त्वहि सारिनी म्योन। त्वहि ऒरज़ुव दॊरकॊठ आय बत्तॖ तॖ दाय मॊह्यनिव
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   महामऻरी नाश - मंत्र
जयन्ती मन्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वहा स्वधा नमोस्तुते
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          लल वाक्
स्वर्गस फीरॖस बऺरगस बऺरगस
त्वर्गस खऺसिथ मऻरिम छ़ॊह
अंद नो लॊबमो च्यऻनिस वर्गस
बॖ क्वस लल तय म्यॆ क्याह नाव
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अर्थात:- मैं ने घोडे पर चढ कर (तेज़ी से) स्वर्ग के प्रत्येक स्थान का भ्रमण किया। तेरा अंत नहीं पाया। इस बात को जानकर मैं अपना अता पता भूल गई।
भावार्थ:- हर जगह पर तू ही तू व्याप्त है। मेरा नाम कहीं भी नहीं है, अर्थात मेरा "मैं" तो नाम मात्र ही है।
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सतन वारन कऻशिर्य पऻठ्य वनान-च़न्दॖरवार, बॊम्वार, ब्वदवार, ब्रसवार, शॊकुरवार, बटॖवार, आथवार- शुर्य पनॖन्य ह्यॆछनऻव्यूख
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पंचान्ग:- कोरोनावयरसस सॗत्य सपुद म्यॆ साक्षातकार हालॖ हालय। कति प्यठॖ आयि, कॊत कुन आयि, कऺमिस निश आयि, कॗतिस कालस प्यठ आयि, क्याह ह्यथ द्रायि, कपऻर्य द्रायि, क्याह कऺरिथ द्रायि, अख अजब इतिफाक सपुद म्यॆ सॗत्य युस बॖ त्वहि सॗत्य शिरकथ छुस यछ़ान करुन ताकि तॊह्य रूज़िव स्तर्क तॖ पनुन पान रूज़िव बचावान अमि अजब महामऻरी निशि, पनॖन्यन गुलालन,पनॖन्यन बुज़र्गन, पनॖन्यन
ॳज़ीज़न हुन्द थऺविव ख़ास ख्याल। महामऻरी छि ख़तरनाक, जान लेवा। अथ सॗत्य लडऻय करनस गछ़ि आसॖन्य ह्यमथ, पौंसॖ रऺन्ग्य, विश्वासॖ रऺन्ग्य, ईश्वरस मंज़ यछ़ पछ़ आसनॖ रऺन्ग्य तॖ लूकन हॖन्ज़ि ॴही तॖ ॴशिर्वादॖ रऺन्ग्य। कथ जि जऻरी
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कऻशुर ह्यॆछव कऻशुर परव
कऻशिर्य पऻठ्य पानॖवॖन्य कथ बाथ करव
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नऺविव तॖ फॊलिव
भूषण कौल "दीप" 
(बूज़िव ॳज़्युक सबक़ म्यानि ज़्यॆवि ति)
(koshursabak.blogspot.com ति वुछिव)

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