Monday, June 13, 2022

14.06.2022

नमस्ते शारदे देवी काशमीर पुरवासिनि त्वामहं प्रार्थये नित्यं विद्यादानं च देहि मे
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🙏🙏 नमस्कार माहरा
14.06.2022, ज़्येठ (ज्येष्ठ) ज़ूनॖ पछॖ (शुक्ल पक्ष) पुनिम (पूर्णिमाशी), देवादेव, बॊम्वार (मंगलवार), श्री सप्तर्षि सम्वत 5098, नक्षत्र ज्येष्ठा, राश धनु (शामन 06.33 बजि प्यठॖ), ऋतु ग्रीष्म (चलान)...अज़ छु रॏप भवऻनी (रूप भवानी) वॊहरवोद
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त्वहि ऒरज़ुव दॊरकॊठ आय बत्तॖ। वुद्यूग करव मुकाम प्रावव
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  महामऻरी नाश - मंत्र
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वहा स्वधा नमोस्तुते
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बरादरन प्रुछ़ तीज़मालि ज़ि मऻजी य्वॊस च़ॖ बोज़नावान छख यि गौरी स्तुति यिम कऺच़ श्वलुक छि कुल। जन्त्री मंज़ हाबा छि हऻविथ कीवल काह श्वलुक तॖ तिमय छि ॳस्य परान रोज़ान। तीज़मालि द्युत बरादरस जवाब। अज़ बोज़नावथ बॖ ब्रोंहकुन ज़ॖ श्वलूक। अदय मऻजी स्वागत छुय बरादरन वॊनॖनस -

*चन्द्रापीडा-नन्दितमन्द- स्मितवक्त्रां,*
*चन्द्रापीडा-लंकृत-लोला- लकभाराम् ।*
*इन्द्रोपेन्द्रा-द्यंचित-पादाम्बूजयुग्मां,* *गौरीम्-अम्बाम्-अम्बु-रुहाक्षीम् अहम्-ईडे ।।*
अर्थ : भगवान् शंकर को आनन्दित करने वाले मुस्कराहट से युक्त मुख वाली, भगवान् शंकर के निमित सजाये हुये घूंघट वाले बालों की भार वाली, इन्द्र तथा नारायण जिसके चरणों की पूजा  करते हैं उस कमल जैसे नेत्रों वाली गौरी माता की मैं स्तुति करता हूं।

*नाना कारै:* *शक्ति-कदम्बे-र्भुवनानि,*
*व्याप्त स्वैरं क्रीडति यासौ स्वयमेका*
*कल्याणीं तां कल्पलताम् आनतिभाजां,* *गौरीम्-अम्बाम्-अम्बु-रुहा-क्षीम्-अहम्-ईडे।*।

अर्थ: भिन्न भिन्न शक्तियों से भूः भुवः स्वः लोकों में व्याप्त होकर जो मां अकेली स्वतंत्र रूप से खेलती रहती है, जो कल्याण रूप से शरण में आये हुए के लिए कल्पलता है अर्थात् हर कामना को पूर्ण करने वाली है ऐसी ही कमल जैसी नेत्रों वाली मां की मैं स्तुति करता हूं।

वाह वाह मऻजी यिम श्वलूक बोज़ान बोज़ान छि कन तॖ मन श्वद गछ़ान। बरादरन वॊन तीज़मालि। श्वलूक परान परान ति छि मनस शऻन्ती मेलान। तीज़मालि वॊन बरादरस। पगाह वारॖकारॖ परव ब्रोंहकुन। कथ छि जऻरी
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कऻशुर ह्यॆछिव कऻशुर पऺरिव कऻशिर्य पऻठ्य पानॖवुन्य कथ बाथ कऺरिव
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नऺविव तॖ फॊलिव
भूषण कौल "दीप"
(बूज़िव ॳज़्युक सबक़ म्यानि ज़्यॆवि ति)
(यि सबक़ वुछिव podcast दऺस्य ति)
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