Friday, June 10, 2022

11.06.2022

नमस्ते शारदे देवी काशमीर पुरवासिनि त्वामहं प्रार्थये नित्यं विद्यादानं च देहि मे
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🙏🙏 नमस्कार माहरा
11.06.2022 ज़्येठ (ज्येष्ठ) ज़ूनॖ पछॖ (शुक्ल पक्ष) काह (एकादशी), देवादेव, बटॖवार (शनिवार/शनिश्चरवार), श्री सप्तर्षि सम्वत 5098, नक्षत्र स्वात, राश तुला (चलान), ऋतु ग्रीष्म (चलान)... चूंकि पगाह छि बाह (द्वादशी) रावान, पगहुक वॊहरवोद यी ॳज़्य...अज़ छि न्यर्ज़ला काह (निर्जल एकादशी) फ़ाकॖ (वृत) ति
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त्वहि ऒरज़ुव दॊरकॊठ आय बत्तॖ। वुद्यूग करव मुकाम प्रावव
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  महामऻरी नाश - मंत्र
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वहा स्वधा नमोस्तुते
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तीज़मालि वॊन बरादरस ज़ि म्यॆ हाबा वुछ वीडियोहन मंज़ ज़ि ज़्येठॖ ॴठम दॊह यीच़न जायन ति आराधना आयि करनॖ, गौरी स्तुति हुन्द मंत्र ॴस्य नॖ ह्यकान सऻरी पऺरिथ। बॖ छस यछ़ान ज़ि यि पाठ गछ़ि सारिनी ज़्यॆवि प्यॆतिस प्यठ याद आसुन। अमि मंत्रूक अर्थ छु हऻविथ हॆन्दी ज़बऻन्य मंज़। मऻजी सऻनिस समुदायस मंज़ छि यिमन चीज़न हॖन्ज़ कमी ति क्याज़ि परनावन वाल्यन तॖ ह्यॆछनावन वाल्यन हॖन्ज़ व्यछ़य छि असि। म्यॆ हाबा छु मन करान ज़ि अख अख श्वलूक वनॖ बॖ दॊहय। बडॖ जान ख़याल छु यि मऻजी। करी हरि ओम् ततस्त।   
ॐ *लीलारब्ध-स्थापित-लुप्ताखिल-लोका* *लोकातीतै-र्योगिभिर्-अन्तर्-हृदि-मृग्याम्*।
*बालादित्य श्रेणि-समान-द्युति-पुंजां,  गौरीम्-अम्बाम्-अम्बुरु-हाक्षीम् अहम-ईडे*।।
अर्थ: जो जगदम्बा बिना किसी परिश्रम के सृष्टि को बनाती है पालन करती है और नाश करती है, योग के अन्तिम अवस्था पर पहुंचे हुये योगी जिस शक्ति रूपी मां को हृदय से ढूंढते है, उदित होते हुये असंख्य सूर्यों जैसी प्रकाश वाली, कमल जैसे नेत्रों वाली माता गौरी (योगाग्नि से जलाये हुये शरीर के कारण गौर वर्ण वाली) की मैं स्तुति करता हूँ।
बरादरन वॊन तीज़मालि ज़ि पगाह परव दॊयिम श्वलुक। कथ छि जऻरी
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कऻशुर ह्यॆछिव कऻशुर पऺरिव कऻशिर्य पऻठ्य पानॖवुन्य कथ बाथ कऺरिव
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नऺविव तॖ फॊलिव
भूषण कौल "दीप"
(बूज़िव ॳज़्युक सबक़ म्यानि ज़्यॆवि ति)
(यि सबक़ वुछिव podcast दऺस्य ति)
https://anchor.fm/bldeep
(यि सबक़ वुछिव koshursabak.blogspot.com प्यठॖ ति)

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