नमस्ते शारदे देवी काशमीर पुरवासिनि त्वामहं प्रार्थये नित्यं विद्यादानं च देहि मे
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🙏🙏 नमस्कार माहरा
13.06.2022, ज़्येठ (ज्येष्ठ) ज़ूनॖ पछॖ (शुक्ल पक्ष) च़्वदह (चतुर्दशी) च़ऺन्दॖरवार (सोमवार), श्री सप्तर्षि सम्वत 5098, नक्षत्र अनुं, राश वृश्चिक (चलान), ऋतु ग्रीष्म (चलान)
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त्वहि ऒरज़ुव दॊरकॊठ आय बत्तॖ। वुद्यूग करव मुकाम प्रावव
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महामऻरी नाश - मंत्र
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वहा स्वधा नमोस्तुते
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बरादरन वॊन तीज़मालि ज़ि मऻजी बडॖ मज़ॖ आव च्यानि ज़्यॆवि यि श्वलूक बोज़नस। हय आहनबा तथ क्याह छु वनुन। नाय पॊज़ वॊनमय मऻजी। बडॖ मज़ॖ आव। आदबा ऒरज़ुव ॴस्यनय। बोज़बा ब्रोंहकुन। तीज़मालि वॊनॖनस -
*प्रत्याहार-ध्यान-समाधि- स्थितिभाजां*,
*नित्यं चित्ते निर्वृत्तिकाष्ठां कलयन्तीम् ।* *सत्य-ज्ञाना-नन्दमयीं तां तडित्-आभां,*
*गौरीम्-अम्बाम्-अम्बु- रुहाक्षीम् अहम्-ईडे*।।
अर्थ : प्रत्याहार, ध्यान तथा समाधि के साधना में लगे हुये भक्तों के चित्त में आनन्द उत्पन्न करने वाली, सत्य ज्ञान तथा आनन्द स्वरूप वाली, बिजली की जैसी प्रकाशवाली, कमल जैसे नेत्रों वाली गौरी माता की मैं स्तुति करता हूँ।
वाह वाह मऻजी। आनन्द आव। बरादरन वॊन तीज़मालि। पगाह पकव ब्रोंहकुन। कथ छि जऻरी
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कऻशुर ह्यॆछिव कऻशुर पऺरिव कऻशिर्य पऻठ्य पानॖवुन्य कथ बाथ कऺरिव
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नऺविव तॖ फॊलिव
भूषण कौल "दीप"
(बूज़िव ॳज़्युक सबक़ म्यानि ज़्यॆवि ति)
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https://anchor.fm/bldeep
(यि सबक़ वुछिवkoshursabak.blogspot.com प्यठॖ ति)
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