22.06.2020, हारॖ (आषाढ) ज़ूनॖ पछॖ (शुक्ल पक्ष) ऒक्दॊह(देवादेव) (प्रथमा) च़ऺन्दॖरवार (सोमवार),श्री सप्तर्षि सम्वत 5096, राश मिथुन (चलान), ऋतु ग्रीष्म (चलान)
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नमस्कार माहरा त्वहि सारिनी म्योन। त्वहि ऒरज़ुव दॊरकॊठ आय बत्तॖ तॖ दाय मॊह्यनिव
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श्रीचण्डीकवच
ग्रह भूत पिशाचा च यक्ष गन्धर्व राक्षस:।
ब्रह्म राक्षस वेताला: कूष्मांडा भैरवादय:।।
नश्यन्ति दर्शनात्तस्य कवचे हृदि संस्थिते।
मानोन्नतिर्भवेद् राज्ञस्तेजो वृद्धिकरं परम्।।
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अर्थ :- सूर्यादि नवग्रह, भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष, गन्धर्व, ब्रह्मराक्षस, वैताल, कुष्माण्ड, भैरव। ये सभी, जिसके हृदय में कवच है उसे देखते ही नष्ट हो जाते हैं। इस कवच को याद रखने वाले राजा के द्वारका मान (सम्मान - प्रतिष्ठा) उन्नति (वृद्धि) होती है। (अथवा राजा की मान - उन्नति होती है) और यह कवच तेज को बढाने वाला और महान है।
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महामारी नाश - मंत्र
जयन्ती मन्गला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वहा स्वधा नमोस्तुते
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लल वाक
आमि पनॖ सऺदरस नावि छस लमान
कति बोज़ि दय म्योन म्यॆति दियि तार
आम्यन टाक्यन पोन्य ज़न शमन
ज़ुव छुम ब्रमन गरॖ गछ़हऻ
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अर्थात :- संसार रूपी समुद्र से पार जाने के लिए जीवन रूपी नाव को श्वासोश्वास रूपी कच्चे धागे से खींच रही हूं। काश! मेरे प्रभु मेरी विनती तथा पुकार सुनकर मुझे भी भवसागर से पार उतार देते। इस के लिए मेरी जान मचल रही है और निजधाम जाने की यह ललक मेरे कलेजे को ऐसे ही घलाती है जैसे कच्चे पर्वों को पानी पिघला देता है
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पंचान्ग :- राथ ताम यिम ति नुंदॖ ऱेशिन्य श्रुक्य बॖ लेखान आस, यिमन श्रुक्यन हॖन्ज़ तरतीब तॖ तशरिह ॴस कऺरमॖच श्रीमती संतोष शाह "नादान" जियन य्वस अख थदि पायिच कलमकार छि। अमि छि भगवद् गीता जी-हुन्द ति कऻशिर्य ज़बऻन्य मंज़ तर्जमॖ कॊरमुत। "नादान" जी छि कऻशिर्य ज़बऻन्य मंज़ वारियाह कऻम करान। यि छि सानि समाजिच अख बऺड शूब तॖ रोनक। अज़ दॊहरऻव्य म्यॆ ब्यॆयि अकि फिरि लल वाक अनुवाद सहित। यिम लल वाक छि सॊम्बरऻव्यमॖत्य श्री पुष्कर नाथ रैना सऻबन तॖ यिमन वाकन हुन्द हॆन्दियस मंज़ अनुवाद ति छु तिमवॖय कॊरमुत। म्यऻन यछ़ा छि ज़ि यिम लल वाक गछ़न वातॖन्य म्यानि समाजक्यन बायन ब्यॆन्यन ताम खासकर तिमन ताम यिम यिमन लल वाकन निशि अनज़ान छि। रातुक द्वह ओस स्यठाह आवर्यरुक द्वह माने सिरियस ग्रुहुन, अन्तर राष्ट्रीय योग दिवस, पश्चिम सभ्यताय हुन्द ज़बर्दऺस्ती पानॖनोवमुत द्वह मऻल्य सॖन्दिस नावस प्यठ "फादऻर्स-डे" तॖ ब्यॆयि ओस वऺर्लॖड म्यूज़िक-डे। असि ह्यॆत्य पनॖन्य संस्कार मऺशरावॖन्य तॖ व्वपर ज़ऻच़ हॖन्द्य त्योहार तॖ संस्कार पानॖनावॖन्य, मसलन मदऻर्स-डे, फ्रैंडस-डे, वैलनटायिन-डे,भाई दूज, धन तेरस, करवा चौथ वगैरा वगैरा। सऻरी लूख ॴस व्यस्त तॖ मस्त पनॖन्यन पनॖन्यन काम्यन मंज़ तॖ सॗत्य वोत प्यतरावान महामऻरी हुन्द प्रकोप ति। वैकुण्ठ मंडली, फरीदाबाद वाल्यव ॴस व्यवस्था कऺरमॖच़ आन-लाईन योगासनॖच यथ मंज़ कॆंच़व शुर्यव क्यो बड्यव शिरकत कऺर। सौरभ ज़ाडू जियन, युस हार्मनी इन्डिया चलावान छु दिलशादगार्डनॖस मंज़, ओस शाया कॊरमुत अख संगीत एल्बम वऺर्लड म्यूज़िक डे-किस नावस प्यठ। यि एल्बम मेलि यू-ट्यूबस प्यठ।
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कऻशुर ह्यॆछव कऻशुर परव
कऻशिर्य पऻठ्य पानॖवुन्य कथ बाथ करव
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नऺविव तॖ फॊलिव
भूषण कौल "दीप"
(बूज़िव ॳज़्युक सबक़ म्यानि ज़्यॆवि ति)
(koshursabak.blogspot.com ति वुछिव)
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